NATIONAL AYURVEDA DAY ( राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस )
आयुर्वेद के जनक हैं भगवान धन्वन्तरि इसलिए इनके जन्मदिवस की आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जाता है आयुर्वेद दिवस की रोमन केलेंडर के अनुसार कोई तारीख निश्चित नही है हिंदी पंचांग के अनुसार हर वर्ष को कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (धनतेरस )को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन ही भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। इसे धन्वन्तरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है
भारत में वर्ष 2016 से NATIONAL AYURVEDA DAY की भारत सरकार ने शुरुआत की जो की 28 अक्टूबर 2016 को फर्स्ट नेशनल आयुर्वेद दिवस मनाया गया जिसकी थीम “Har Ghar Har Din Ayurveda थी हर घर हर दिन आयुर्वेद
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भगवान धन्वन्तरी को देवताओ के डॉक्टर चिकित्सक वैध कहा जाता है जिनके बारे में ये मान्यता है की भगवान धन्वंतरि श्रीहरि विष्णु के 24 अवतारों में से 12वें अवतार माने गए हैं. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी. समुद्रमंथन के समय चौदह प्रमुख रत्न निकले थे जिनमें चौदहवें रत्न के रूप में स्वयं भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए जिनके हाथ में अमृतलश था. कालांतर में उन्होंने अमृत सरीखे औषधियों की खोज कर आयुर्वेद की मान्यता को स्थपित किया था लिहाजा चिकित्सक भी इस दिन उनकी पूजा करना नहीं भूलते। एक मान्यता यह भी है कि वह काशिराज धन्व के पुत्र के रूप में वह जन्मे थे इसलिए वह धन्वंतरि कहलाए गये
भारत में आयुष मंत्रालय आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद दिवस मनाने के लिए प्रोत्शाहित किया इस बार 11 नवम्बर 2023 को 8 वा राष्ट्रिय आयुर्वेद दिवस मनाया जायेगा अब इसे पुरे विश्व में मनाया जाने लगा है तो अब यह WORLD AYURVEDA DAY या INTERNATIONAL AYURVEDA DAY के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है ईएसआई के आधार पर विश्व मने यह मन लिया है की चिकित्सा पद्धति विश्व की भारत की ही दें है क्योकि वैदिक काल से ही भारत में औषधि जड़ी बूटियों को उपयोग किया जाता रहा है अगर वेदोंके अनुसार देखा जाये तो सतयुग में भगवान राम के समय हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को मूर्छित अवस्था से बचाया था तो यह रामायण ,बाइबल ,कुरान में भी इनका इतिहास मिलता है


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